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Tuesday 28 May 2013

ये रात बड़ी कमीनी चीज़ है |

ये रात बड़ी कमीनी चीज़ है ,
चाँद का लट्टू जलाकर 
सितारों की चादर देकर 
रूमानी कर देती है 
फिर 
अपना डर ऐसा फैलाया हुआ है 
की महबूबा आने से डरती है 
और जब हम 
उसके ख्वाबो का तकिया बनाकर 
उसके लफ्जों को झूठा करते हुए
उसके बदन की चादर ओढ़ते हैं
तो न जाने कहाँ से
लाख वाट का लट्टू जलाकर
कोनसे मुल्क निकल जाती है ,

ये रात बड़ी कमीनी चीज़ है | :)

Saturday 11 May 2013

तेरी याद में सिर्फ मैं ही नही मर रहा |

लफ्जों का क़त्ल नही होता
वो खुद आत्मदाह कर लेते है
और फिर जब मैं उनके लिए रोता हूँ
वो डूब जाते है
या कभी - कभी
कफ़न बनाकर उसी पन्ने का
दफन हो जाते है ।

तेरी याद में सिर्फ मैं ही नही मर रहा !

हम नही बदलते मोहतरमा ;)

हम नही बदलते मोहतरमा,
बदल तो तुम जाती हो...
चार लेयर फाउंडेशन
तीन लेयर मसकारा
दो कोट आइ लाइनर
और एक परत
फेयरनेस क्रीम हटाने के बाद । :)